मन
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मन
कभी चंचल, कभी स्थिर
कल्पनाजनित भ्रमजाल उत्पन करता
आशा,निराशा,अपेक्षाओं और व्याकुलताओं का
मायाजाल बुनता हुआ, कभी
सत्य को मिथ्या और मिथ्या को सत्य में
परिवर्तित करता
यह मन
युद्धरत है निरंतर
विजय पाने को
दुष्टता और बुराई पर
मन
दौड़ लगाता है
अच्छाई और भलाई की
सीमा रेखा छूने को
एक कछुए की तरह
खरगोश रुपी दुश्विचारों को मात दे कर
मन
पथ डूंड लेता है अंतर्मन में झांक कर
सब पाप कर्मो का बहिष्कार कर
अन्तःत विजयी होता है एक दृढ निश्चयी
मन.
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
Ishaan Dafauti
ReplyDeleteThoughtfulness
August 26 at 9:14pm • Like
Deepak Shukla
वाह!! मन की समस्त अवस्थाओं को क्या खूब उकेरा है बहुत ही कम शब्दों में आपने !! बहुत खूब !!
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Mamta Ladiwal
ReplyDeleteमन को अच्छे से विस्तृत रूप में शब्द दिए है आपने
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रामकुमार चतुर्वेदी 9:09pm Sep 3
ReplyDeleteवाह लाजवाब रचना
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Gumnam Kavi 9:26pm Sep 3
ReplyDeleteमन चंचल है परंतु दृढ एवं निश्चयी मन अंततः विजयी ही होता हैǃ अत्यंत सुंदर एवं सार्थक संदेशǃ हार्दिक बधाई आदरणीय कौल जीǃ
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Ajay Kumar Chaudhary 9:51pm Sep 3
ReplyDelete.......... waah ati sundar !
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Ramkishore Upadhyay 10:58pm Sep 3
ReplyDeleteमन
दौड़ लगाता है
अच्छाई और भलाई की
सीमा रेखा छूने को
एक कछुए की तरह
खरगोश रुपी दुश्विचारों को मात दे कर
मन
पथ डूंड लेता है अंतर्मन में झांक कर
सब पाप कर्मो का बहिष्कार कर
अन्तःत विजयी होता है एक दृढ निश्चयी
मन. =================================बहुत सुन्दर रचना .मन -भावन .
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