ऊब एक ऐसी मनोस्थिति है
जो मनुष्य को किसी भी रोजमर्रा के अवैतनिक कार्य से नजात दिला सकती है। वैतनिक
कार्यों में भी ऊब का हमला होता है पर यहाँ पर
मरता क्या ना करता वाली स्थिति आ जाती है फिर भी साल में एक दो बार अपने
ऊबाऊ रोजमर्रा कार्य से भाग कर कुछ और करने का / कहीं जाने मन करता है। फेसबुक या
अंतरजाल के किसी भी सामाजिक पटल पर कुछ महीनो तक सक्रियता के उपरांत जो ऊब दिलो दिमाग पर छा जाती है इसका असर मेरे
जैसे किसी भी रचनाकार की रचनात्मकता पर पड़ सकता है। सो लगभग २८ दिनों के
अंतराल के बाद आज फिर से आपके समक्ष हूँ। जिन मित्रों ने अपने जन्मदिन इन २८ दिनों
के अंतराल में मनाये उनको मेरी हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनायें। ईश्वर आप सभी को
खुश और स्वस्थ्य रखे।
पिछले माह हिंदी साहित्य ने एक महान साहित्यकार और गीतकार
पद्मभूषण गोपाल दास नीरज को खो दिया तो इस माह एक और महान राजनेता, युगदृष्टा और कवि के देहावसान से पूरे भारत में हलचल मच
गयी। साहित्य की दोनों दिवंगत महान विभूतियों को मेरा शत शत नमन।
इसी बीच कुछ मित्रों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ।
विशेष कर 11वे विश्व हिन्दी सम्मेलन
मॉरिशस में भाग लेकर लौटे डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी ( वरिष्ठ साहित्यकार) एवं डॉ.
जगदीश कुमार डागर ( वरिष्ठ साहित्यकार ) के अतिरिक्त सर्वश्री
ओमप्रकाश प्रजापति, रामकिशोर उपाध्याय, ओमप्रकाश शुक्ल,जगदीश मीणा, अकेला इलाहाबादी,विनय शुक्ल विनम्र,विजय प्रशांत जैसे कवि एवं साहित्यकारों से
मिलने का सुखद अवसर प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मेरी दो रचनाओं की वीडियो ग्राफी ट्रू मीडिया द्वारा की गयी
जिसे यूट्यूब पर ट्रू मीडिया के चैनल पर देखा जा सकता है।
पिछले माह २९ जुलाई को
पर्पल पेन द्वारा आयोजित नीरज जी की
श्रदांजलि सभा में जाने का अवसर मिला और उसी दिन
बबली वशिष्ठ द्वारा आयोजित गुरु पूर्णिमा के एक कार्यक्रम में जाने का भी अवसर
मिला था जहाँ साहित्य की दो विभूतियों डॉ.
धनंजय सिंह जी और डॉ धनकोर जी से सुखद भेंट हुई जिसका
जिक्र मैं पिछले माह नहीं कर सका। उन अविस्मरणीय यादों को छायाचित्रों द्वारा आपके अवलोकन के लिए
प्रस्तुत हैं। सप्रेम।
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ReplyDeleteBidhu Bhushan Trivedi
August 29 at 11:40 PM
आपकी अभिव्यक्ति सहज और सत्य है ।बधाई और शुभकामनाएँ
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