Friday 13 February 2015

प्रेमिका

प्रेमिका
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मादक धरती मादक अम्बर 
मादकता से भरपूर चमन 
मादक कर्ण की लौ भी है 
मादक होंठों का प्यारा मिलन

मदमस्त फ़िज़ा मदमस्त पवन
मदमस्त हैं होंठ मदमस्त नयन
मदमस्त यह दिन मदमस्त बहार
मदमस्त जवानी की मस्त पुकार

पैरों में रची मदमस्त महावर
पायल की मदमस्त झंकार 
यौवन का आलम है यह 
मदमस्त करे वह बारम्बार

अम्बर भी मदमस्त हुआ
देख के धरती का जोबन
पुष्पों से सजी वन देवी का 
आतुर है लेने को  चुम्बन

कस्तूरी की सुगंद से महका
प्रेमिका का समस्त बदन
सींचा होंठों ने जब मन को
हुआ गुलाब का नव रोपण

दो पर्वत के मध्य-स्थली में
तब बर्फ पिगलने लगती है
सूरज भी मंद हो जाता है
धरा की प्यास जब बुझती है
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सर्वाधिकार सुरक्षित/ मन की तरंग//त्रिभवन कौल


12 comments:


  1. Aroona Reejhsinghani 11:54am Feb 14
    nice collection of poems can be read here

    http://kaultribhawan.blogspot.in/2015/02/blog-post_13.html#comment-form

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  2. Alok Mittal 12:16pm Feb 14
    वाह्ह वाह्ह्ह शानदार
    Om Prakash Shukla
    Om Prakash Shukla 11:47am Feb 14
    वाह ।।
    बहुत सुन्दर ।।
    बेहतरीन सृजन ।।

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  3. गोप कुमार मिश्र 3:45pm Feb 14
    मादक धरती मादक अम्बर
    मादकता से भरपूर चमन
    मादक कर्ण की लौ भी है ***** वाहहहहह मादक कहन भी
    मादक होंठों का प्यारा मिलन
    मदमस्त फ़िज़ा मदमस्त पवन
    मदमस्त हैं होंठ मदमस्त नयन ........बहुत खूब
    मदमस्त यह दिन मदमस्त बहार
    मदमस्त जवानी की मस्त पुकार
    पैरों में रची मदमस्त महावर
    पायल की मदमस्त झंकार
    यौवन का आलम है यह........... बेहतरीन भाव झंकृत
    मदमस्त करे वह बारम्बार
    अम्बर भी मदमस्त हुआ
    देख के धरती का जोबन
    पुष्पों से सजी वन देवी का
    आतुर है लेने को चुम्बन........... वाहहहह क्या कहनें
    कस्तूरी की सुगंद से महका
    प्रेमिका का समस्त बदन
    सींचा होंठों ने जब मन को
    हुआ गुलाब का नव रोपण
    दो पर्वत के मध्य-स्थली में.......... लाजवाब कहन
    तब बर्फ पिगलने लगती है
    सूरज भी मंद हो जाता है
    धरा की प्यास जब बुझती है............. वाहहहहह लाजवाब सृजन की बधाई स्वीकारें सादर सप्रेम

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  4. Veer Patel 8:24pm Feb 14
    आद. Trivhuwan Kaul जी वाह्ह्ह्ह्ह बहुत खूब .... ...प्रकति की सुंदरता का मनोहारी चित्रण करता हुआ.....आपका गीत बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति जो कि सीधे दिलोदिमाग पर असर कर रही है.....मदमस्त मगन ..........रचना को पढ़कर मंत्रमुग्ध हूँ.........बहुत बहुत बधाई .........सटीक शिल्प और उत्कृष्ट भाव हेतु आपको और आपकी लेखनी को नमन सादर
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    Nirdesh Sharma 6:18pm Feb 14
    वाह वाह लाजबाब
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    Rama Verma 5:12pm Feb 14
    वाह्ह्ह.. खुबसूरत रचना...

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  5. Neeti Banga 11:12pm Feb 14
    behad khoobsurat !
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    Parul Rastogi 8:46pm Feb 14
    श्रृंगार रस का सुन्दर प्रयोग!
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    Raj Aaryan 7:40pm Feb 14
    Lajawab gulabi shayri ...wallah ♥

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  6. Neha R. Krishna 4:12am Feb 15
    Sundar
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    Soumya Mohanty Vilekar 12:30am Feb 15
    behad khoobsoorat
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    Kiren Babal 11:29pm Feb 14
    Wah... prem Ras mein doobi Yeh valentine....bahut achhee hai....loved it

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  7. Ramkumar Chaturvedi 9:59am Feb 15
    सुंदरम ... उत्कृष्ट..सृजन.. जय हो

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  8. Hitesh Lav 12:24pm Feb 14
    Bahut dinon baad Kaul sahib! Wah!

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  9. Charu Dev
    February 14 at 5:18pm

    वाह क्या मदमस्त भाव हैं........:)
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  10. Santosh Bakaya 6:56am Feb 15
    maddmastt!!!!!!!!!!!!!!!

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  11. Aman Srivastav
    February 14 at 7:55pm

    bhooot hi sundar likha h aapne...:)

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  12. Nazre Imam 2:10pm Feb 16
    behad sundar aur mann ko choone wale bhav..

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